भारत मै चिकित्सा का सामान्य अर्थ आज भी शेष विश्व से विशेष है। यह बात भले ही अजीब लगे किन्तु सोलह आने सच है । भारत मे चिकित्सक अपनी चिकिसा पद्धति के अनुसार मरीज की चिकित्सा करे, ऐसा निर्देश व्यवस्था द्वारा दिया जाता रहा है।
वेसे भारत मे कुल 6 चिकित्सा पद्धतिया है , इन सभी को भारत मे कानुनन बराबरी का दर्जा मिला हुआ है। यह 6 पद्धतिया है – एलोपेथी, आयुर्वेद, होमियोपेथ, युनानी, सिद्ध, और योग एवम प्रकृतिक चिकित्सा पद्धति।
वर्तमान मे किसी व्यक्ति के रोग ग्रस्त होने पर कोनसी पैथी की चिकित्सा लेनी है, वो रोगी को स्वयम तय करने का अधिकार है। परन्तु मरीज को केसे पता चले क्या उसके लिये उचित है क्या अनुचित? क्युकि अभी इस ओर कार्य करने की बहुत आवश्यकता है कि कोनसी बिमारी के इलाज के लिये कोनसी पद्दत्ति सर्वोत्तम है? साथ ही आम आदमी को केसे पहचान हो कि कोनसी दवा कोनसी पद्धति की है क्योकि कई बार चिकित्सक भी रोगी को बिना बताये अन्य पैथी की दवा दे देते है जिसकी जानकारी रोगी को नही होती है. वेसे नियमतः तो दवा के लेबल पर स्पष्ट शब्दो मे अंग्रेजी और हिन्दी मे भी यह लिखा होना चाहिये कि अमुक दवा अमुक पद्धति या पैथी की है और होना तो यह चाहीये कि हर पेथी की दवा के लेबल का रंग ही अलग ही अलग हो ताकि रोगी को दूर से पता चल जाये कि अमुक दवा कोनसी पैथी की है।
कई बार रोगी भी चाहता है और आग्रह करता है कि अमुक पैथी के चिकित्सक ही अन्य पैथी की भी एक-दो दवा लिख दे, ताकि एक दो दवा के लिये अलग-अलग जगह दोडना ना पडे। किन्तु क्या कानुन इसकी इजाजत देता है? और अगर देता है तो किस स्तर तक ? यह जानकारी आम आदमी तक, आम आदमी की भाषा मे पहुचाना अत्यन्त आवश्यक होता हैं, लेकिन न तो इसके लिए सिस्टम मे कोई सम्पूर्ण रूप से तैयार है और न ही जनता जागरुक है।
आज स्थिति ऐसी है कि किसी राज्य मे तो इंट्रीगेटेड अर्थात मिक्सोपेथी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है तो किसी राज्य मे शूद्ध पैथी चिकित्सा!
माना कि चिकित्सा राज्य का क्षेत्र है, किंतु जब चिकित्सा के क्षेत्र मे जब-जब मनमानी चलती है तो सम्पूर्ण भारत मे एक रूपता लाने की बात उठती है.
कई बार तो यह देखने मे आया है कि किसी-किसी राज्य मे तो पुलिस विभाग द्वारा पैथी विशेष के चिकित्सको को ही निशाना बनाया जाता है, और दुसरी पथी के चिकित्सको को क्रोसपैथी के मामले मे छुआ तक नही जाता.
माननिय सर्वोच्च न्यायालय ने पैथी अधारित भेदभाव को नकारते हुये रिटायरमेंट की आयु के सम्बन्ध मे एक फेसला देते हुये कहा कि पैथी के अधार पर भेदभाव नही होना चाहिये. जब भारत मे कानुन द्वारा 6 पैथी को मान्यता दी गयी है तो उनके चिकित्सको मे पैथी के अधार पर भेदभाव नही होना चाहिये.
यहा एक सर्वे की आवश्यकता है जो यह बताये कि पुलिस कास्टेबल, अधिकारीयों आदि का चिकित्सा से सम्बन्धित नये कानुनो का सरल भाषा मे कितना ज्ञान है ? सर्वप्रथम इस सर्वे के लिये प्रश्नावली बनायी जानी चाहिये. प्रश्नावली मे कुछ ऐसे प्रश्न हो सकते है –
- क्या आयुर्वेदिक दवाओ को आप पहचान सकते हो ? हा / ना
- क्या आयुर्वेदिक चिकित्सक भी चिकित्सिय प्रमाणपत्र जैसे- रोगी प्रमाणपत्र (सिकनेस सर्टिफिकेट), रोगमुक्ति प्रमाणपत्र (फिट्नेस सर्टिफिकेट) आदि प्रमाणपत्र दे सकते है और क्या ये विधि सम्मत प्रमाण है ? हा / ना
- क्या आयुर्वेदिक चिकित्सा मे भी विभिन्न विषयो एम.डी.(आयु.)/ एम.एस.(आयु.) डीग्रीधारी चिकित्सक होते है? हा / ना
- क्या एलोपथिक चिकित्सको द्वारा आयुर्वेदिक दवाओ को प्रेस्क्राइब करना भी कानुनन अपराध है? हा / ना
- क्या आयुर्वेद के चिकित्सक द्वारा एलोपथी दवाओ को प्रेस्क्राइब करना कई राज्यो मे कानुनन अपराध नही है? हा / ना
- क्या विधिपुर्वक चिकित्सिय व्यवसाय करने वाले आयुर्वेदिक चिकित्सको की प्रतिष्ठा को पुलिस कार्यवाही से हानि पहुच सकती, जिसे पुनर्स्थापित करना अत्यंत: कठिन है? हा / ना
- क्या आप मानते है आयुर्वेद कोलेज भी “मेडिकल कोलेज” ही होते है और ये विधि सम्मत होते है? हा / ना
- आई. एम. ए. (इन्डीयन मेडिकल एसोशियन) एक सरकारी संस्था…. …. …. (अ) नही है (ब) है
- एन. सी. आई. एस. एम. (नेशनल कमीशन फोर इन्डीयन सिस्टम ओफ मेडिसीन) एक सरकारी संस्था…. ……… (अ) नही है (ब) है
- भारतीय चिकित्सा पद्दति (Indian system of medicine) का मे कितनी पैथी आती है- (अ) 4 (ब) 5 (स) 6 (द) 1
- भारतीय चिकित्सा पद्दति (Indian system of medicine) मे निम्न मे से कोनसी कोनसी पैथी आती है- (अ) आयुर्वेद (ब) होमयोपैथ (स) ऐलोपैथ (द) सभी
सर्वे का स्कोर =
- हा = 1 , ना = 0
- हा = 1 , ना = 0
- हा = 1 , ना = 0
- हा = 1 , ना = 0
- हा = 1 , ना = 0
- हा = 1 , ना = 0
- हा = 1 , ना = 0
- (अ) = 1 , (ब) = 0
- (अ) = 0 , (ब) = 1
- (अ) = 1 , (ब)(स)(द) = 0
- (अ) = 1 , (ब)(स)(द) = 0
अधिकतम स्कोर = 11, मिनिमम = 0
साथ ही आयुष मंत्रालय को पुलिस अधिकारीयों का चिकित्सा से सम्बन्धित नये कानुनो के बारे मे ज्ञानवर्धन करना चाहिये और साथ ही सरकारी अधिकारीयो के शारीरिक मानसिक स्ट्रेस कम कर सकने वाली दवाइया, आसन- ध्यान आदि जनोपयोगी आयुर्वेदिय चिकित्सा की जानकारी भी ऐसे कार्यक्रम मे देंनी चाहिये.
आप सर्वे मे प्रश्नो हेतु सुझाव दे सकते है, लेखक का उदेश्य सर्वजन हिताय लेखन है.
Best concept
आयुर्वेद के बारे में जन जागरूकता, विश्वास, भरोसे की कमी
Superb boss… Iske liye Bde level pe prayaas hone chahiye taki aam jaanta ko raahat mile….